ओशो के विचार ब्रह्मचर्य और संभोग के बारे में
ओशो के विचार ब्रह्मचर्य और संभोग के बारे में
दोस्तों ओशो ने जब सेक्स संभोग समाधि पर अपना व्याख्यान माला आरंभ किया तो जिज्ञासुओं ने पूछा कि आप चाहते क्या है तो ओशो ने कहा कि मैं यह चाहता हूं कि लोग इस गूढ़ विषय को समझें और इस विषय को ना समझी के कारण जिस प्रकार पूरा जीवन इस तुच्छ चीजों पर बिता देते हैं इसी के लिए इर्द गिर्द बड़े से बड़े साधु सन्यासी ऋषि मुनि साधक और जनसाधारण के लोग भटकते रहते हैं इसका वह निराकरण खोजें और मैं यह चाहता हूं कि लोग इसे तिरक्त हो जाए और इस पर पराकाष्ठा पर पहुंच जाए कि इस तुच्छ चीज के इर्द-गिर्द भड़काने के बजाय इसे समझकर एक ब्रह्मचर्य जैसा जीवन व्यतीत करें जिससे उन्हें आध्यात्मिक कि उसे उत्तंग और उच्च सीमा को प्राप्त करने में सुविधा हो सके तब एक जिज्ञासु ने कहा कि अगर सभी लोग ब्रह्मचर्य हो जाएंगे तब फिर हमारे इस सृष्टि का क्या होगा ? इस पर ओशो ने अपना तर्क और व्याख्या बहुत अच्छे से किया सुनिए …
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