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पत्ती पत्ती शबाब क्या होगी

पत्ती पत्ती शबाब क्या होगी

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नारियों को नग्नता के साथ बिकनी में नुमाइश करवाना फैशन शो का भोंडा और नंगा नाच है जिसे बड़े-बड़े संभ्रांत लोग और बेपरवाह होकर ऐसे निहारते हैं की कपड़े से बाहर निकलने को आतुर नारियों का स्तन और गुप्तांग इस प्रकार से फैशन डिजाइनर द्वारा ढका जाए की वो और उभर कर झांकने का प्रयास करे । लोगों को इस प्रकार का वीडियो अथवा फोटो दिखाकर वाह वाही बटोरने और पुरुषों के सेन सेक्स का प्वाइंटर मापने का प्रयास करे ।वैसे भी दुनिया में जिस चीज को देखने की मनाही होती है लोग उसको ही बहुत सुंदर और नए तरीके से ऐसे प्रस्तुत करते हैं जैसे कि वह बहुत नया एक्सक्लूसिव तरीका हो या दूसरे शब्दों में कह दिया जाय की वह पुरुषों की सब्र का इंतिहान लेने के लिए इस प्रकार की प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट के भरे शरीर की मद मस्त चाल को दिखाने के लिए महिलाओं के शरीर को बिकवाने के लिए तथाकथित बिकनी का फैशन शो करते हैं ।जो ब्रहमचर्य की परीक्षा पुरुषों में नारियों में रंभा अप्सरा जैसे इंद्र की दरबार की कल्पित लोक की कल्पनाएं जैसी होती है। क्या यह सभ्य समाज का सेक्स को और उभरने का चुनौती देने का तरीका महसूस नहीं होता जो समय-समय पर ब्रह्मचर्य और संतृप्त लोगों को केमिकल भाषा में कहा जाए तो उनके असंतृप्त इलेक्ट्रॉन के बंध को उत्तेजित करने के लिए पास में इस प्रकार के आतुर असंतृप्त तत्वों को लाया जाता है ।जिससे इलेक्ट्रॉन जैसी नेगेटिव परंतु आवश्यक विद्युत् जीवन धारा को उत्पन्न करने वाली शक्ति पैदा हो जाए। दूसरे शब्दों में जिसे हम विद्युत पॉवर कहते हैं। यह काम क्या कोई रोक सकता है , क्या यह रंगीन चित्र या रंगीनियत ही जीवन का नाम है ?इस संबंध में ओशो की विचारधारा ज्यादा प्रासंगिक महसूस होती है की संतृप्ति होने के लिए अगर कोई संभोग से समाधि तक कि उनकी भाग चार प्रवचन को सुनकर अमल में ले आए तो शायद इस प्रकार का कामोत्तेजक प्रदर्शन निर्मूल हो जाता है।


पत्ती पत्ती शबाब क्या होगी
फूल फूल गुलाब क्या होगी
जिसने ओशो के अनुसार जीवन जी होगी
उसकी नियत खराब क्या होगी
इतना स्पष्ट और बेबाक प्रवचन देने के बाद और संयासिनी चेलियो से घिरे रहने के बाद भी आज तक पूरी दुनिया में ओशो पर किसी भी मातृशक्ति नारी शक्ति द्वारा ऐसी उंगली नहीं उठाई गई जिसके आरोप में आजकल कई धर्मगुरु जेल के सिकचों के भीतर है।

 


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