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संभोग की सीमा और समय

संभोग की सीमा और समय

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ओशो की बाकी गल दिया छड्ड काम साफ होना चाहिए।
संभोग से समाधि की ओर,
प्रवचन-4
ओशो बताते है ….कुछ थोड़े से सूत्र आपको कहता हूं। उन्‍हें थोड़ा ख्‍याल में रखेंगे तो ब्रह्मचर्य की तरफ जाने में बड़ी यात्रा सरल हो जायेगी। संभोग करते क्षणों में क्षणों श्वास जितनी तेज होगी। संभोग का काल उतना ही छोटा होगा। श्वास जितनी शांत और शिथिल होगी। संभोग का काल उतना ही लंबा हो जायेगा। अगर श्वास को बिलकुल शिथिल करने का थोड़ा अभ्‍यास किया जाये, तो संभोग के क्षणों को कितना ही लंबा किया जा सकता है। और संभोग के क्षण जितने लंबे होंगे, उतने ही संभोग के भीतर से समाधि का जो सूत्र मैंने आपसे कहा है—निरहंकार भाव, इगोलेसनेस और टाइमलेसनेस का अनुभव शुरू हो जायेगा। श्वास अत्‍यंत शिथिल होनी चाहिए। श्वास के शिथिल होते ही संभोग की गहराई अर्थ और उदघाटन शुरू हो जायेंगे।
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और दुसरी बात, संभोग के क्षण में ध्‍यान दोनों आंखों के बीच, जहां योग आज्ञा चक्र को बताता है। वहां अगर ध्‍यान हो तो संभोग की सीमा और समय तीन घंटे तक बढ़ाया जा सकता है। और एक संभोग व्‍यक्‍ति को सदा के लिए ब्रह्मचर्य में प्रतिष्‍ठित कर देगा—न केवल एक जन्‍म के लिए, बल्‍कि अगले जन्‍म के लिए भी।

Osho
osho

कोई भी माता-पिता, गुरु ,धर्म का प्रचारक जीवन के असली सत्य को बताने में या तो अभी तक असमर्थ है या स्वयं हिचक महसूस करते हैं की कैसे कहें, कैसे बताएं ?कन्याओं और महिलाओं के रजोधर्म के संबंध में मेंसेस आने के समय जब यह बात खुली और सार्वजनिक हो गई कि यह एक नैसर्गिक समस्या है इसका निदान आवश्यक है ।तब जाकर सेनेटरी पैड यानी स्वच्छता का पैड या कपड़े का गुच्छा हर महिलाओं के लिए माहवारी के दौरान अनिवार्य होता गया है ।यह समझ लिया गया इससे मुख नहीं मोडा जा सकता और उन्हें इन विशेष समय में सावधानी बरतते हुए किसी सुरक्षित एकांत जगह में निवास करने को कहा गया। परंतु आधुनिक समय में भाग दौड़ की जिंदगी में इसका रास्ता भी निकाल लिया गया और जिस प्रकार आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है देश दुनिया समाज ने इसका परिमार्जन कर लिया।
ठीक उसी प्रकार पुरुषों में भी इस प्रकार की होने वाले डिस्चार्ज को अनियंत्रित , अकल्पित और बेहूदा भोंडे ढंग बलात्कार, जबरन बेड टच करने से रोकने के लिए अगर यह ज्ञान सब पुरुषों को आवश्यक रूप से दिया जाए, योग की शिक्षा की तरह सिखाया जाए तो ओशो का यह संदेश लोगों को भोगी बनने से बचाते हुए योगी बनाते हुए मनुष्य जीवन की उद्देश्य को पूरा कर सकती है।

 


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