आजकल राजनीति की क्षेत्र में बहुत बड़े-बड़े कलाकार आ चुके हैं
आजकल राजनीति की क्षेत्र में बहुत बड़े-बड़े कलाकार आ चुके हैं
ऐसे लिखे हुए कोट्स के बजाय ओशो के मुखारविंद से बोले गए रील ,वीडियो या ऑडियो ज्यादा प्रमाणिक लगते हैं कि यह ओशो के ही उदगार रहे होंगे ।ओशो ने जिस प्रकार राजनीतिक लोगों का चित्रण किया है वह अब सत्य नहीं है क्योंकि आजकल राजनीति की क्षेत्र में बहुत बड़े-बड़े कलाकार आ चुके हैं ।जो हत्या कर देते हैं लेकिन चेहरे पर ऐसा कोई शिकन आने ही नहीं देते की वो हमें अपराधी नजर आए ।बिल्कुल मासूम लगते है। झूठ भी वह इस तरीके से बोल लेते हैं जैसे उन्होंने पहली बार इस झूठ को बोला है। क्योंकि उनकी याददाश्त बहुत तगड़ी होती है और हो भी क्यों ना हर बार नए-नए झूठ बोलने वाली इनसाइक्लोपीडिया रखते है ।इतनी मजबूत याददाश्त वाले होते है कि उसे मालूम रहता है कि पहले उसने कौन सा झूठ बोला हुआ है ।इसलिए राजनीति में कलाकार का स्थान बहुत ऊंचा है क्योंकि सभी जानते हैं की जो कलाकार होता है उसे लोग कहते हैं वह अभीनेता है और बाद में पूरा नेता हो जाएगा। लिहाजा चित्रकार, संगीतकार ,गीतकार ,कलाकार को हल्के में नहीं लेना चाहिए ।उसके अंदर छुपा हुआ एक नेता जरूर होता है ।अगर कलाकार जमीर वाला होता है तो वह कभी सच्चा नेता नहीं बन पाता। केवल जमीर के कारण ही अपना जमीन खोजना रह जाता है और जिसके पास जमीर नहीं होता वह पहुंचा हुआ कलाकार होता है नेता होता है ।अतः ओशो का यह मानना की ऐसे नेता लोग जिनके पास कोई चेतना नहीं होता और वह मदहोश , अचैतन्य होता है यह भी गलत होगा ।क्योंकि वह पूरे होशोहवास मे पहले अपना घर का सुधार करता है तभी तो अपने घर रूपी इकाई से लेकर बंगला जैसी दहाई तक फिर सैकड़ों करोड़ तक उसकी किस्मत सुधरने संवारने की बात होती है किसी भी पार्टी में रह कर। ऑखिर सोंचिए की लाखों-करोड़ों खर्च करके चुनाव जीतने का विश्वास रखने वाला किसान (नेता )आखिर किस फसल की प्राप्ति की उम्मीद से इतनी महंगी खेती करता होगा?
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