3 साल के बैचलर कोर्स की तरह शादी विवाह के संबंध के सरकार के द्वारा वैध
3 साल के बैचलर कोर्स की तरह शादी विवाह के संबंध के सरकार के द्वारा वैध

जीवन में सबका पथ प्रदर्शन मार्गदर्शक और गुरु अवश्य होना चाहिए ।किसी भी संतान की सर्वप्रथम गुरु उसकी माता होती है होश संभालने के बाद पिता और फिर कुदरत उसका मार्गदर्शन करती है। हिंदू धर्म और भारत के सभी स्थापित धर्म में गुरु का स्थान सर्वोच्च रखा गया है। जो जीवन की कला और इसका समापन संपूर्णता से करने के लिए जाने माने जाते हैं। कहते हैं जिसका कोई गुरु नहीं होता उस निगुरा का जीवन व्यर्थ हो जाता है। उसकी कोई गति नहीं होती किंतु आज तक ओशो की सिवाय किसी ने जीवन की संपूर्णता अर्थात होश संभालने के बाद आगे की जीवन को पूरा करने के लिए शादी विवाह के लिए किए जाने वाला जीवनसाथी का चयन पर कोई प्रकाश नहीं डाल पाए हैं ।सिर्फ ओशो ने ही जीवन के 360 डिग्री के समस्याओं और उसे संबंध में उनके अपने विभाग समाधान पर चर्चा की है। इसलिए वास्तव में उनका ज्ञान सुनने और अमल करने योग्य होता है। अब इसमें लोगों की पसंद और नापसंद उनकी अपनी अपनी हो सकती है पर यह बात कटु सत्य है कि जीवनसाथी के चयन और वरण में दुनिया की 99% लोग असफल है। इसलिए हमेशा शादी के बाद दुखी रहते हैं। सबको उनका मनपसंद जीवनसाथी नहीं मिल पाने के कारण असंतोष तनाव विवाह और डाइवोर्स जैसी घटनाएं अगर 90% पश्चिम के देशों में तो 10% भारत के में भी पाई जा रही है ।इसमें रोल समझौते और समझदारी का माना गया है । जब तक कि दोनों पक्ष शिक्षित न हो जाए और जिम्मेदार न हो जाए इसे समझना मुश्किल है ।यही शिक्षा का स्तर जैसे जैसे बढ़ता गया वैसे-वैसे लोगों में अपने अपने अधिकार और स्वाभिमान जागते गए और फिर जो प्रश्न ओशो ने उठाएं हैं उसे समझने के लिए लोगों को चिंतन करना पड़ गया है कि
सूरत देखें की सीरत
जिनका परिचय बचपन से होता रहता है जो आसपास की पारिवारिक पृष्ठभूमि को बेहतर समझते रहते हैं ऐसे समुदायों में अक्सर शादी विवाह 50 किलोमीटर के क्षेत्र में हो जाती है ।जहां लोग अपनी पसंद नापसंद के संस्कार आदि बातें आरंभ से ही देख समझ लेते हैं कि हमें कैसे जीना है ।पर जैसे ही यह दूरी बढ़ती है बहुत सारी बातें और जानकारियां लोगों को मालूम नहीं होती और ऐसे समय हर चमकने वाली चीज सोना ना होकर पीतल बन जाती है। फिर लोगों को ठगा हुआ सा महसूस कराती है। बेहतर है 3 साल के बैचलर कोर्स की तरह शादी विवाह के संबंध के सरकार के द्वारा वैध तरीके से करने के लिए सगाई की तिथि 3 वर्ष पूर्व की मैरिज सर्टिफिकेट में दर्ज की जाए और इस इंटर्नशिप समय में लोगों को एक दूसरे की खूबियां और खामियों के संबंध में विधिवत जानकारी भारत जैसे त्योहारों के देश में मिलने जुलने ,संदेश देने और उसकी गंभीरताओं को समझने जानने के लिए किस-किस प्रकार का आचार विचार आपस में किया जाता है इससे लोग पूर्वानुमान कर सकें कि उनका भावी जीवन किस प्रकार का होगा। परिणाम अदालतों और समाजों में इस प्रकार के डायवर्स और विवाद जैसे चिंतित करने वाले परिणाम में कमी आ सकेगी।
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