लाइफ स्टाइल

एक स्त्री या नई कार कब तक सुंदर दिखती है?

एक स्त्री या नई कार कब तक सुंदर दिखती है

Think 4 Unity

कल्पनाओं में नाटकों में लोगों के अपने मनगढ़ंत काल्पनिक लोगों की संसार में , पुराणों में ,कुरानों में,देवताओं अप्सराओं किन्नरों गंधर्वों और मायावी दुनिया के लोगों की कल्पना करते हुए अद्भुत अष्टगंध ,दिव्य गंध ,कामुकता, मादकता से भरी हुई अल्हादित करने वाली सौंदर्य की कल्पना करते हुए ऐसी मादकनारी स्वरूप इंद्र की दरबार की अप्सराओं का वर्णन करते हुए जब हम यह व्याख्या सुनते हैं कि लावण्य स्वरूप जैसा स्वरूप ,हमेशा ताजगी भरा हुआ ,समुद्र के किनारे से उठता हुआ शीतल हवा का झोंका होता है ।जो सदैव सुंदर-मधुर सा लगता है ।परंतु यह भी एक भ्रम है जो एक न एक क्षण ऐसा आता है कि हमें यह जीवन मिथ्या और परिवर्तनशील लगता है । जिस नारी  female को हम पाने के बाद उसके प्राप्ति उपलब्धि के बाद कैसे उदासीन हो जाते हैं , इसी प्रकार सभी प्रकार के ऐश्वर्य और विलासिता के वह चरम उत्कर्ष बिंदु की जिन्हें प्राप्त करने के बाद ऐसा लगता है की इसके परे भी कोई दुनिया है ।जो अभी और पाना शेष है लगता है ।और प्यास पानी पीकर भी नहीं तृप्त होता की उसमें ऐसा क्या अन्य पेय पदार्थ डाला जाए जो शरीर की अभीप्सा ,प्यास शमन करते हुए पूरी आत्मा को तृप्त कर सके । इस जीवन में आप अपने अभिलाषा की चाहे जितने ऊंचे से ऊंची शिखर को छू लो परंतु आपको अपने अभीष्ट और ज्ञान की पुंज जो आपके अंदर ध्यान में उतरने के बाद चक्र को जागृत करते हुए सहस्त्रार भेदन तक नहीं पहुंच जाते और उसे ब्रह्म रंध्र कमल दल से झरने वाले अमृत रूपी आनंद का पान नहीं कर पाते तब तक ये सुंदर स्त्री ,सुंदर सुख, सुंदर कामना, सुंदर वासना सभी अपूर्ण से प्रतीत होते हैं। इन्हें पाकर भी वह तृप्ति नहीं मिलती जैसे जेठ के महीने में प्यासा मनुष्य ठंडे पानी के लिए भटकता रहता है।

स्त्री और ओशो

 कस्तूरी कुंडल बसे मृग ढूंढे बन माही

 


Think 4 Unity

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button