यह तो दुनिया की रीत है कि भले कुछ कर सके या ना कर सके लेकिन मुंह चलाने से किसी को कोई नहीं रोक सकता। प्रजातंत्र में तो फिर इसकी स्वतंत्रता ही स्वतंत्रता है ।मगर प्रजा तो वैसे भी डर कर बोलती है ।मगर यहां जनप्रतिनिधियों और राजाओं की दुकानदारी और पॉलिटिक्स केवल बोलने के नाम पर चलती है ।रोज कुछ न कुछ अनर्गल प्रतिशोधात्मक वक्तव्य देकर लोग चर्चा में बने रहते हैं और आग लग जाती है प्रजा के तंत्र में ।मूर्ख जनता यदि नहीं जानती कि ऊपर मुंह करके थूकने से नीचे गिरेगा उनकी स्वयं की चेहरे पर थूक ।