परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर खेलें गेम्स ...घबराएं और डरें नहीं
कोरोना संक्रमण के बीच कई सोशल चेंज हुए हैं जिसमें हर एज ग्रुप का व्यक्ति किसी न किसी बीमारी, मानसिक तनाव, फोबिया, एंग्जाइटी, चिड़चिड़ापन, डर, अवसाद को झेल रहा है। लॉकडाउन के चलते एक दूसरे से बातें भी कम हो गई है और घर में रहने के कारण निगेटिव थॉट्स बढ़ गए हैं। इसी के चलते हमने शहर के साइकोलोजिस्ट से जाना कि कैसे बीते 15 महीनों से अलग-अलग एज ग्रुप के लोग घरों में कैद होने की फीलिंग के कारण स्ट्रेस और एंग्जाइटी फेस कर रहे हैं?
बच्चे फैमिली व दोस्तों से बात करें, परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर खेलें गेम्स

t4unews:-करोना की कारण चारों तरफ अवसाद डिप्रेशन तनाव का वातावरण है।२० साल के चमन लाल (परिवर्तित नाम) ने डर और भय के कारण अपनी फैमिली मेंबर को अलग-अलग कमरे में आइसोलेट कर दिया। सभी ने अपनी आरटीपीसीआर जांच कराई जिसमें सभी निगेटिव थे। कोरोना संक्रमण के कारण योगेश काफी डिप्रेस्ड और डर गया था।
एंटरटेनमेंट, स्टोरी टेलिंग, इनडोर गेम
मनोचिकित्सक रूमा भट्टाचार्य ने कहा बीते 15 महीनों में हजारों लोगों के कॉल्स आए। जिसमें उन्हें एंग्जायटी, स्लीप डिसऑर्डर जैसी समस्या देखी गई है। यंगस्टर्स और सीनियर्स को ध्यान रखना चाहिए कि घबराएं और डरें नहीं। एक दूसरे के साथ क्वालिटी टाइम बिताए। रूटीन चार्ट बनाए जिसमें एक्सरसाइज, डायट चार्ट शामिल करें। नींद पूरी करें, ताकि मानसिक तनाव कम हो। सभी मिलकर समय बिताएं उसमें एंटरटेनमेंट, स्टोरी टेलिंग, घर में गेम्स खेलें।
एडिक्शन न बढ़ाएं किसी भी चीज का
मनोचिकित्सक आरएन साहू ने कहा बच्चों में अकेलापन बढ़ गया है। रूटीन डे एक जैसा हो गया है जिसके चलते तनाव, फोबिया, एंग्जायटी बढ़ी है। 5 से 20 साल के बच्चों को टिप्स हैं कि वे फैमिली और दोस्तों से बात करते रहें। सोशल मीडिया में कम समय बिताए, घर पर सभी हैं तो अलग-अलग टॉपिक पर डिस्कशन करें। एक दिन में इंसान के दिमाग में हर दिन 4 हजार थॉट्स आते हैं। जिसमें निगेटिव और पॉजिटिव थॉट्स होते हैं। पॉजिटिव थॉट्स पर ज्यादा ध्यान दें। उमंग और उत्साह का नाम ही जीवन है।
76 साल के raghav (परिवर्तित नाम) कोरोना पॉजिटिव थे। हॉस्पिटल से डिस्चार्ज हुए लेकिन उदासीपन, अकेलेपन, डर से बाहर नहीं आ पा रहे थे। ऑक्सीजन लेवल कम हो रहा है। उनका कहना है कोरोना से निपट लूंगा पहले मानसिक दिक्कत को ठीक कर दीजिए।
39 साल के मोहन (परिवर्तित नाम) को कोविड फोबिया था। पड़ोस में एक व्यक्ति की डेथ हो गई। उस घटना के बाद से घबराहट होती है और रात में नींद खुल जाती। वे डर की वजह से घर के दरवाजे और खिड़की खोल देते थे और बाहर बैठे रहते थे। उन्हें बहम होता था कि सांस नहीं आ रही है।
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