करवाचौथ पूजन कब कैसे और क्योँ ? ? ?
पौराणिक कथा के अनुसार करवा चौथ के व्रत में भगवान शंकर, माता पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और चंद्र देव की पूजा-अर्चना होती है। ये व्रत चांद का दीदार करने के बाद ही खोला जाता है

T4unews :करवा चौथ के व्रत में भगवान शंकर, माता पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और चंद्र देव की पूजा-अर्चना होती है।
करवा चौथ यानी सुहागिनों का दिन। यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। वैसे तो करवा चौथ पूरे देश में मनाया जाता है लेकिन उत्तर भारत में इसका महत्व अधिक है। यह व्रत सुबह सूर्योदय से पहले ब्रम्ह काल यानी सुबह करीब 4 बजे से शुरू होकर होकर रात में चांद निकलने तक जारी रहता है। यह व्रत शादीशुदा महिलाओं के अलावा कुंवारी लड़कियां भी करती हैं। क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को रखने से उत्तम वर की प्राप्ति होती है। इस व्रत में कथा सुनना और चांद के दर्शन करना जरूरी माना जाता है। इस दिन महिलाएं 16 श्रंगार करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं और पति भी अपने जीवन साथी के लिऐ प्रार्थना करते है ।
जानिए पूजन के मुहूर्त
करवा चौथ पूजा मुहूर्त – 05:51 PM से 07:06 PM
अवधि – 01 घण्टा 15 मिनट्स
करवा चौथ व्रत समय – 06:23AM से 08:17 PM
अवधि – 13 घण्टे 54 मिनट्स
करवा चौथ के दिन चन्द्रोदय – 08:17 PM
करवा चौथ कथा का सार
बहुत समय पहले की बात है, एक साहूकार के सात बेटे और उनकी एक बहन करवा थी। सभी सातों भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। यहां तक कि वे पहले उसे खाना खिलाते और बाद में स्वयं खाते थे। एक बार उनकी बहन ससुराल से मायके आई हुई थी। शाम को भाई जब अपना व्यापार-व्यवसाय बंद कर घर आए तो देखा उनकी बहन बहुत व्याकुल थी। सभी भाई खाना खाने बैठे और अपनी बहन से भी खाने का आग्रह करने लगे, लेकिन बहन ने बताया कि उसका आज करवा चौथ का निर्जल व्रत है और वह खाना सिर्फ चंद्रमा को देखकर उसे अर्घ्य देकर ही खा सकती है। चूंकि चंद्रमा अभी तक नहीं निकला है, इसलिए वह भूख-प्यास से व्याकुल हो उठी और भगवन से कामना करने लगी की चंद्रमा जैसे ही मेरे पति मेरे सुहाग को बनाए रखे । भगवन ने तथास्तु कहा और दर्शन द कर सबकी कामना पूरी की ।
करवा चौथ के व्रत में भगवान शंकर, माता पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और चंद्र देव की पूजा-अर्चना होती है। एक तांबे या मिट्टी के बरतन में चावल, उड़द की दाल, सिंदूर, चूड़ी, शीशा, कंघी, लाल रिबन और रुपए रखकर किसी बड़ी सुहागिन महिला या अपनी सास के पांव छूकर उन्हें भेंट करें। करवा चौथ की पूजा के लिए एक स्टील या ब्रास की थाली का इस्तेमाल करें। इसमें रूई को तेल में डुबाकर चिन्ह बनाएं। इसी थाली में चावल और कुमकुम अलग-अलग रख लें। थाली में ही पूजन के लिए दीपक, धूपबत्ती सहित अन्य सामान रखें। मिट्टी के करवों में पानी भरकर रख लें। इसके अलावा चांद को देखने के लिए एक छलनी भी रख लें। पूजा कर कथा सुनें और जब चांद पूरी तरह से दिख जाए तो उसे छलनी से देखकर अर्घ्य देकर आरती उतारें। इसके तुरंत बाद अपने पति को उसी छलनी से देखें।
भारत त्यौहार और भावनाओं का देश है इसीलिए यहां प्यार है समर्पण है पूजा है ।
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