कोरोना के मारे ये बेचारे कुंवारे
t4unews:चार लोग क्या कहेंगे यही सोचते सोचते समाज हमारे पूरे चार लोगों का अचार बना डाला कि जो कुरीतियाँ नहीं हो सकी थी वह भी उत्पन्न हो गई धीरे-धीरे विगत कुछ सदियों में और ऐसी आरंभ हुई कि हमारे ऊपर इनका प्रदूषण जैसा आवरण छा गया । जन्म से लेकर मृत्यु तक हमें हर प्रकार के महोत्सव या उत्सव को मनाने के लिए अपने समाज के चंद सैकडो लोगों को एकत्र करके जो भी उत्सव खर्च या भोजन व्यवस्था तड़क-भड़क दिखाने की आवश्यकता होती थी । उसी की चलते मनुष्य जिस समाज का भी हो अपनी अपनी हैसियत के हिसाब से लोगों के उत्सव महोत्सव या पर्व के रूप में खर्च किए जाने का एक क्रम सा बना लिया है । अब इस प्रकार की महंगाई की हालात और जहां हर व्यक्ति को अर्थ संचय जीविकोपार्जन के लिए नाना प्रकार के काम करता रहता है यह महान चिंतन का विषय है । किसी के घर पुत्र या पुत्री का हो जाना आनंद के साथ भविष्य कि बहुत ही बड़ी चिंता का विषय भी हो जाता है।
सबसे बड़ा चिंता का विषय है तो उनकी ब्याह काज आज के समय का होता है। कई समाज में तो लड़कियों के जन्म से ही रिकरिंग डिपोसिट का खेल शुरू हो जाता है । यदि करोना कॉल हमें विपत्ति दें कर कुछ सीख भी दे दिया है कि जिस प्रकार चार लोगों को जरूरत हमे अर्थी को कंधा देने की होती है इसी प्रकार इस प्रकार की बड़े-बड़े उत्सव महोत्सव सिर्फ 4 लोगों के द्वारा भी संपन्न हो सकता है ज्यादा लोगों को इकठ्ठा होने कि कानून ही आगे काफी समय तक इजाजत नहीं देगा । ज्यादातर मामलों में तो यह एक अनुकरणीय उदाहरण हो सकता है जहां लोग व्यर्थ की खर्च और कुरीतियों में अपना समय पैसा खर्च करते हुए उत्सव का दिखावा करते फिरते है वहा फिजिकल डिस्टेंस मेंटेन करते हुये सोशल डिस्टेंस के साथ हम इस शादी ब्याह को भी सरलता और एकनामिक तरीके से संपन्न करें ।इस वीडियो में एक नवयुवक की व्यथा भी इसी बात का बयां करती है कि उसकी सारी तैयारियां सब बर्बाद हो गई कोरोना के मारे ...
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